धर्म ध्वजा लहराई है
पुनर्नजागरण की सुबह आई है
उठो, खोलो आँखें, सहेजो विरासत
संदेसा बस इतना लाई है।
गर्व करो भाषा पर
पहचानो अपनी संस्कृति
जिन्दा कौम हो, छोड़ो अचेतनता
संदेसा बस इतना लाई है।
अपनी स्थिति के नियंता तुम
चैतन्य हो, आगे बढ़ो
बदलना है, गर जीवन का गान
संदेसा बस इतना लाई है।
प्रेम और सद्भाव जीवन का मूलमंत्र
वसुधैव कुटुंबकम उद्घोष हमारा
घृणा, द्वेष का करो परित्याग
संदेसा बस इतना लाई है।
ईश्वर एक धर्म अनेक
सर्व धर्म सम्भाव हो जीवन दर्शन
अनेकता में एकता हो समग्र चेतना।
संदेसा बस इतना लाई है।
धर्म ध्वजा लहराई है
पुर्नजागरण की सुबह आई है
पुर्नजागरण की सुबह आई है।
©सुधा आदेश
No comments:
Post a Comment