पलों का नाम है जिंदगी
जीवन का हर पल, लिख रहा इबारत जिंदगी की
सजा लो इसे या मिटा दो, नियंता हो तुम।
मिटा दो भले ही पर मत भूलना, पल मिटते नहीं
शिद्दत के साथ याद आते हैं, अपवाद नहीं हो तुम।
मत भूलो दुनिया गढ़ी है,निज हस्तों से तुमने
सहेज नहीं पाए,बिखरने दिया,दोषी हो तुम।
नहीं बिगड़ा अभी कुछ भी, मजबूत इरादों के संग
रुके कदम आगे बढ़ाओ,विश्वास बनो तुम।
पीछे जो छूट गया,वह अपना था ही नहीं
छोड़कर दामन मोह का, निःस्पृह बनो तुम।
टुकड़ा-टुकड़ा बदलेगी तकदीर,रखो आस
चीर कर अंधकार को, प्रकाश बनो तुम।
@सुधा आदेश
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