बड़ी मुददतों के बाद यह पल आया है,
तारों की झुरमुट में शाम बिताई है ।
भागते रहे चंद काग़ज़ के टुकड़ों के लिये
महफ़िल आज अपनों के संग सजाई है ।
वक़्त रूकता नहीं, रूकना तुम्हें होगा,
जीना है अगर ज़िंदगी,बात आज समझ में आई है ।
जीवन छोटा,बचे हैं चंद पल ही ज़िंदगी के,
जियें अपने लिये भी,ज़िंदगी ने ज़िंदगी से पहचान कराई है ।
@सुधा आदेश
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