सहेज कर दर्दे गम बिछोना बना लिया हमने।
कोई डर नहीं, कोई ख्वाहिश नहीं,
हसरतों को मुट्ठी में बंद कर लिया हमने ।
मौत भी आये तो अब कोई गम नहीं
जीने की चाहत को रेत की मानिंद उड़ा दिया हमने।
सिला चाहे जो भी दे यह मतलबी दुनिया
बदरंग चादर बेफिक्री की ओढ़ लिया हमने ।
@सुधा आदेश
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