नफ़रत से बुरा ज़हर इंसान के लिये कोई दूसरा नहीं है । कुछ इंसान नफ़रत के वशीभूत
मन में इतनी नकारात्मक ऊर्जा का समावेश कर लेते हैं कि उन्हें अच्छाई में भी बुराई नज़र आने लगती है ।
एेसा व्यक्ति सदा दूसरों में बुराई ही ढूँढता रहता है नतीजन वह ज़िंदगी कभी उन्नति नहीं कर पाता क्योंकि उसकी
जो ऊर्जा रचनात्मक कार्यों में लगनी चाहिये वह उसकी मानसिकता के कारण नकारात्मक कार्य में खरच हो जाती है ।
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