Friday, December 11, 2015
अच्छे दिन ...
अपनी कामवाली शशि से जो पंचायत चुनाव में वोट देकर आई थी, से मैंने पूछा किसे जिता रही हो ?
उसने बड़ी ही निसपृहता से कहा,'भाभी कोई भी जीते हमें क्या ? हम तो जैसे हैं वैसे ही रहेंगे ।
हम तो इस बार देना ही नहीं चाह रहे थे
पर हमारे मर्द ने कहा कि दे दो तो हमने दे दिया । '
' अच्छा किया , अपने मताधिकार का प्रयोग हर इंसान को करना चाहिये ।'
'बस इसीलिये हम चले गये पर ये लोग कोई काम करें तब न ...टी.वी. में इनके करतब देखकर मन खिन्न
हो जाता है । मेरा बेटा कह रहा था जब हम लोग
क्लास में शोर मचाते हैं तो मास्टर जी हमें दंड देते हैं पर ये लोग भी तो संसद में शोर मचाते हैं , इन्हें दंड क्यों दिया
जाता , एेसे अच्छे दिन कैसे आयेंगे ? मैंने उससे कहा बेटा अच्छे दिन ये लोग नहीं वरन् तुम स्वयं अपनी मेहनत से ला पाओगे ...
मेहनत करो
और कुछ बनकर दिखाओ ।'
कहकर वह तो काम में लग गई तथा मैं सोचने लगी कितनी सारगर्भित बात कही इस अनपढ़ ने...काश हमारे राजनेता समझ पाते
कि अब मतदाता जागरूक हो गया है । वह उनके हर कार्य को बारीकी से देख भी रहा है और समझ भी रहा है अगर अभी ये नहीं चेते
तो इनका तो कुछ नहीं बिगड़ेगा पर देश वर्षों पीछे चला जायेगा ।
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