आज बालदिवस हे....जब हम छोटे थे तब यह दिन हमारे लिए बहुत मायने रखता था लगता था जेसे हमें पंख मिल गए हे....कोई तो हे हमारा ध्यान रखने वाला....पर तब से अब तक स्तिथिया काफी बदल गई हे, बल दिवस आज भी आता हे पर सिर्फ खानापूर्ति कर दी जाती हे....बचपन तो तब भी रो रहा था और आज भी रो रहा हे खाने के लिए रोटी नहीं, पहनने के लिए कपडा नहीं ऐसी स्तिथि में पढ़ने के लिए किताबे कहाँ से आएँगी....योजनाये बनती हे, फंड भी दिए जाते हे पर बचपन सिसकता ही रह जाता हे और हम चाँद लोगो के साथ बालदिवस मनाकर इस खुशफहमी में जीते हे की हमने अपना कर्त्तव्य का पालन कर diya....
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