कल का महत्वपूर्ण मुद्दा भ्रष्टाचर आज महत्वहीन हो गया हे....अगर ऐसा न होता तो क्या अनेको घोटाले में फंसे व्यक्ति जिन्हें सजा मिलनी चाहिए वे विभिन्न महत्वपूर्ण विभागों में न बेठे होते....हमारा चतुर्थ स्तम्भ भी बस अपनी टी . आर . पी . रेटिंग बढ़ने के लिए कुछ दिन इन् मुद्द्दो को उछालता हे फिर ऐसी चुप्पी साथ लेता हे मनो कुछ हुआ ही न हो....
यह संवेदनहीनता hi ऐसे लोगो का मनोबल बढाती हे तथा ये बार-बार बिना डरे ऐसे काम करते रहते हे ....पिसता हे आम आदमी....जो अपने लिए दो जून की रोटी के लिए मेहनत करता हे पर उसके हाथ खाली के खाली ही रह जाते हे क्योकि उनकी भलाई के लिए निर्धारित रकम ये देश के दुश्मन हजम कर जाते हे.....जब तक भ्रष्टाचारियो के लिए मृत्युदंड का कानून नहीं बनेगा तब तक ये नहीं सुथरेंगे....पढने में यह बात अजीब लगे पर शरीर का जब कोई अंग ख़राब हो जाता हे तो क्या उसे काटा नहीं जाता....देश को विकास के रास्ते पर ले जाना हे तो कुछ कष्टप्रद निर्णय लेने ही होगे....
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