जीवन
जीवन उतना सहज नहीं होता जितना हम सोचते है,पग-पग पर बाधायें आकर हमारा रास्ता रोकती है,मन विचलित होता है, संसार सागर से किनारा कर लेना चाहता है...तभी मानव की आत्मचेतना उसे झिझोड़ती है उसे कर्म करने के लिए प्रेरित करती है जो अपनी आत्मचेतना की आवाज सुनकर आगे बढ़ता जाता है वही सही अर्थो में मानव कहलाने का अधिकारी होता है...।
सुधा आदेश
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