आज एक वर्ष होने या रहा है तुम्हारे विवाह को ...तुम्हें इस अवसर पर ढेरों आशीर्वाद । ईश्वर तुम्हें सदा सुखी रखे ।
यह सच है जब मैंने तुम्हें पहली बार देखा था तो मेरे दिल ने कहा था… यही है जो तेरे घर सहेजकर ,तेरे घर की परम्पराओं को जीवित रख पायेगी… मैंने निर्णय लिया और बेटे ने अनुमोदन कर दिया ...जबरदस्ती नहीं मन से क्योंकि तुम थीं ही नाजुक, भोली, खूबसूरत…
मैं जानती हूँ कि एक डाली से टूटकर दूसरी डाली से जुडन्स आसान नहीं होता । एक स्त्री के लिए तो सब कुछ बदल जाता है । नया परिवेश में स्वयं को ढालना, नए रिश्तों को निभाना आसान नहीं होता पर मुझे खुशी है तुमने हर रिश्ते में मिठास घोलकर हमारे घर को स्वर्ग बना दिया है ।
बेटा, तुम मेरे घर की लक्ष्मी, सरस्वती हो पर मैं चाहती हूँ कि अगर कभी तुम्हें लगे कि तुम्हारे साथ अन्याय हो रहा है तो दुर्गा बनकर उसका प्रतिकार अवश्य करना क्योंकि कुंठित मन स्वयं तो दुखी रहेगा , दूसरों को भी सुख नहीं दे पाएगा । मैं आज तुमसे यही कहना चाहती हूँ कि तुम्हारे हर निर्णय में , मैं सदा तुम्हारे साथ रहूँगी ।
सदा खुश रहो मेरी बेटी…
तुम्हारी
सासू माँ
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