Thursday, February 27, 2020
फरियाद
फरियाद
जीवन रूपी रथ के पहिए
जीवन की चुनौतियों से
होकर त्रस्त जा पहुँचे
दरबार में परमपिता के ।
' पशु ,पक्षी ,नदी ,नाले
जलथरों ,नभचरों को
दिया खुला आकाश आपने
पर हे सृष्टि के रचयिता
क्यों नहीं नसीब नारी के
मुट्ठी भर आकाश ।
पिता की बाहों में
झूला झूल कर
मां के ममतामई
आंचल में छिपकर
पराए पन का दिल में लिए
एहसास बढ़ती रही ।
भोग्या बनी
पति के आगोश में
बेदाम की दासी बनी
सासरे में
सामाजिक बंधन
ढीले पड़े
मातृत्व सुख के सामने…
तड़पी वही मां
जब अपने ही अंश के
हाथों कठपुतली बनी ।
काश ! दिया होता
थोड़ा सा आकाश
थोड़ी सी जमीन
तो छली तो न जाती
इस निर्मम विश्व में ।'
' छला तो मैं गया हूँ हे ईश्वर,
तेरे इस निर्मम जहां में ,
बाल रूप तोतली बोली
मधुर मुस्कान ले लुभाया बहुत
पराया धन जानकर
प्रेम अथाह सागर
लुटाया मैंने ...।
जवानी में अर्धांगिनी रूप को
सिर आंखों पर बिठाकर
सर्वस्व अर्पित किया ,
रात दिन कठोर परिश्रम कर
छोटे बड़ों को संतुष्ट करने का
प्रयास दिल से किया ।
गोधूलि के सुहाने क्षणों में
जब लेना चाहता था
सांस चैन की
तब पत्नी और मां के
आपसी संघर्ष में पिसा मैं ही
करती रही अपनी मनमानी दोनों ही
बेगुनाह होते हुए भी
पाई सजा मैंने ।
मगरमच्छी आँसूओं के
समंदर में डूबता उतराता रहा
चार जोड़ी कपड़ों में
स्वयं को छुपाकर
अलमारियां भरी
साड़ियों और ज़ेवरों से
दलील पर दलील
सुनते सुनते थक गए कर्ण
संत्रास ,घुटन और यातना के
जिस दौर से गुजरा
कर नहीं सकता बयाँ,
अब आप ही न्याय कीजिए प्रभु
किसने किसको छला ।
ईश्वर ने क्षण भर को
दोनों को निहारा
फिर बोले, ' वत्स ,
तुम दोनों मेरी सृष्टि की
हो अनुपम कृति…
पूरक हो..
स्वभाव और रुचियां
एक हो जायेंगी
तो क्या जीवन
नहीं हो जाएगा रसहीन …।
रात के बाद दिन का
होता है आगमन जिस तरह
उसी तरह आपसी संबंधों में
परिवर्तन के लिए
थोड़ी नोकझोंक
भी है आवश्यक ।
दुख के बाद सुख का आगमन
सदा होता है आनंददायक
बस एक बात मत भूलो
परस्पर प्यार ,विश्वास ,
समर्पण और समझदारी
किसी भी रिश्ते की
होती है अटूट डोर ।
जाओ...वत्स जाओ
तर्क वितर्क में
व्यर्थ मत उलझो , उलझाओ
जैसा विधान मैंने रचा
जिओ वैसे ही और जीने दो ।'
प्रभु के वचन सुन
मायूस दोनों बहुत हुये
दोषारोपण बहुत हुआ
समस्या का हल
ढूंढना होगा स्वयं ही
सोचते हुए
दोनों ने
एक दूसरे को देखा
कुछ गुना, कुछ समझा ।
आंखों -आंखों में
एक मौन
संवाद कायम हुआ
एक हाथ बढ़ा
दूसरे ने थामा…
प्यार ,विश्वास और समझदारी की
डोर थामे चल पड़ा युगल
अनंत की ओर ।
सुधा देश
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