Wednesday, August 3, 2016

पल बुरे नहीं होते, गर पलों को जीने का लुफ़्त सीख पाते ...

पल बुरे नहीं होते गर पलों को 
जीने का लुफ़्त सीख पाते । 

 माना पलों ने बिगाड़ी हैं सैकड़ों ज़िंदगियों 
 वही पल सँवार भी गया है बिगड़ी ज़िंदगियाँ । 

 हर पल तुम्हारा, नियंता तुम निज ज़िंदगी के 
फिर आक्रोश क्यों, विरक्ति क्यों ? 

 ज़रा सोचो, ज़रा समझो, आगे क़दम बढ़ाओ 
हर पल को क़ैद कर मुट्ठी में नया इतिहास रचाओ ।

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