पलों का नाम है ज़िंदगी
जीवन का हर पल लिख रहा है इबारत ज़िंदगी की ,
सज़ा लो इसे या मिटा दो,नियंता हो तुम ।
मिटा दो भले ही पर मत भूलना,पल मिटते नहीं,
शिद्दत के साथ याद आते हैं,अपवाद नहीं हो तुम ।
मत भूलों यह दुनिया गढ़ी है तुमने निज हस्तों से
सहेज नहीं पाये, बिखरने दिया,दोषी हो तुम ।
नहीं बिगड़ा है कुछ भी, रूके क़दम आगे बढ़ाओ,
मज़बूत इरादों के संग, विश्वास बनो तुम ।
पीछे जो छूट गया, वह अपना था ही नहीं,
मोह का छोड़ दामन, निसपृह बनो तुम ।
टुकड़ा-टुकड़ा बदलेगी तक़दीर ,
चीर कर अंधकार, प्रकाश बनो तुम ।
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