Wednesday, August 6, 2014

पलों का नाम है ज़िंदगी

पलों का नाम है ज़िंदगी जीवन का हर पल लिख रहा है इबारत ज़िंदगी की , सज़ा लो इसे या मिटा दो,नियंता हो तुम । मिटा दो भले ही पर मत भूलना,पल मिटते नहीं, शिद्दत के साथ याद आते हैं,अपवाद नहीं हो तुम । मत भूलों यह दुनिया गढ़ी है तुमने निज हस्तों से सहेज नहीं पाये, बिखरने दिया,दोषी हो तुम । नहीं बिगड़ा है कुछ भी, रूके क़दम आगे बढ़ाओ, मज़बूत इरादों के संग, विश्वास बनो तुम । पीछे जो छूट गया, वह अपना था ही नहीं, मोह का छोड़ दामन, निसपृह बनो तुम । टुकड़ा-टुकड़ा बदलेगी तक़दीर , चीर कर अंधकार, प्रकाश बनो तुम ।

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