Tuesday, December 31, 2013

स्वागत नववर्ष

गत वर्ष गया, कुछ स्वप्न टूटे, कुछ अधूरे पड़े, नये संगी-साथी मिले कुछ बिछड़े, अजीब विडम्बना गिले-शिकवे भुलाए न भूले... संभव-असंभव कुछ भी नहीं, सहेजकर सलवटें मन के चादर की, नव स्वप्न बुनें, अधूरों में रंग भरे, मन से मन को जोड़ें... खट्टी-मीठी को सहेजकर मुट्ठी में, कहकर अलविदा गत वर्ष को, तन-मन को कर निर्मल आओ आगत का आगाज करें... शत-शत अभिनंदन, नव स्वप्नों का शत-शत अभिनंदन ।

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