जुगनू सा कभी जलता कभी बुझता रहा जीवन,
तितली सा कभी हँसता कभी उड़ता रहा जीवन ।
तूफानों ने कभी रोका मार्ग,आंधियों ने कभी बिखरा दिया तन-मन,
चिड़िया सा चुन-चुनकर तिनका-तिनका सँवरता रहा जीवन ।
तरिणी की तपिश ने कभी तपाया,ज्योत्नेश की ज्योत्सना ने कभी सहलाया,
पग में कभी चुभे कांटे,लौह सा कुन्दन बन निखरता ही गया जीवन ।
फूल सा कभी महकता, कभी मुरझाता गया जीवन,
नदिया सा फिर भी निरंतर बहता ही गया जीवन ।
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