Tuesday, December 11, 2012

सुख-दुख हर इंसान के जीवन के हिस्से है...ये मानव जीवन की ऐसी अवस्थाये है जिनके वशीभूत इंसान की मानसिक क्रियाओ का निर्धारण होता है,यही कारण है कि एक ही अवस्था में कोई सुख का अनुभव करता है तो कोई दुख का,कोई आशा का तो कोई निराशा का...आवश्यकता है अपने मन को वशीभूत करने की जिससे कि छोटी - छोटी बाते मन को उद्देलित न कर पाये और इंसान विषम से विषम परिस्थितियों में भी अपना संतुलन न खोये...अगर इंसान ऐसा कर पाया तो उसकी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी...। मेरी पुस्तक वीरान मन के खंडहर का अंश...

1 comment:

  1. Very nice aunty, would look forward to read it, is it in feb issue?

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