Wednesday, December 3, 2025

धर्म ध्वजा

 धर्म ध्वजा लहराई है 

पुनर्नजागरण की सुबह आई है

उठो, खोलो आँखें, सहेजो विरासत  

संदेसा बस इतना लाई है।


गर्व करो भाषा पर 

पहचानो अपनी संस्कृति 

जिन्दा कौम हो, छोड़ो अचेतनता

संदेसा बस इतना लाई है।


अपनी स्थिति के नियंता तुम 

चैतन्य हो, आगे बढ़ो  

बदलना है, गर जीवन का गान

संदेसा बस इतना लाई है।


प्रेम और सद्भाव जीवन का मूलमंत्र 

वसुधैव कुटुंबकम उद्घोष हमारा  

घृणा, द्वेष का करो परित्याग

संदेसा बस इतना लाई है।


ईश्वर एक धर्म अनेक

सर्व धर्म सम्भाव हो जीवन दर्शन  

अनेकता में एकता हो समग्र चेतना।

संदेसा बस इतना लाई है।


धर्म ध्वजा लहराई है 

पुर्नजागरण की सुबह आई है

पुर्नजागरण की सुबह आई है।

©सुधा आदेश 


Tuesday, September 9, 2025

Gen z

 Gen Z द्वारा नेपाल में जारी आंदोलन क्या उनकी बेरोजगारी, भ्रष्टाचार दूर कर पायेगा? क्या यह पीढ़ी इतनी संवेदनहीन और उच्चश्रृंखल हो गईं है कि उसे अपने ही देश के लोगों को मारने, अपने देश के बैंको को लूटने, देश की संपत्ति जलाने में जरा भी संकोच नहीं होता?


ऐसे लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि देश के विकास में देश के हर नागरिक का योगदान होता है। ये लोग देश को अराजकता में झोंककर स्वयं का ही नुकसान करेंगे। मत भूलिए देश बनाने में सदियाँ लग जाती हैं जबकि मिटाने में पल भर भी नहीं लगता।


आश्चर्य तो भारत के उन चंद नफरती गैंग के नेताओं पर भी होता है जो भारत में भी ऐसे ही हालातों की कल्पना कर रहे हैं।

😔😔

Tuesday, August 19, 2025

एक विचार

 

अगर आप अपने विचार किसी को तर्कसम्मत तरीके से नहीं समझा सकते तो अपशब्दों के द्वारा अपने कुंठित विचारों को प्रकट कर उत्तेजना उत्पन्न कर स्वयं को सही सिद्ध करने का प्रयास करने लगते हैं।

यही राहुल गाँधी और उनकी टीम के साथ हो रहा है। वह ठोस मुद्दे उठाने या अपने संगठन में कमजोरी ढूंढने की बजाय कभी चौकीदार चोर है कहते हैं तो कभी EVM को दोषी ठहराते हैं। एक तरफ SIR का विरोध तथा दूसरी फर्जी वोटर लिस्ट का राग। अब ‘वोट चोर गद्दी छोड़ो’ का नारा। 

आखिर कांग्रेस को मतदाताओं का तिरस्कार करने तथा धमकाने का अधिकार किसने दिया? 

यह तो वही बात तुम मुझको न चाहो तो कोई बात नहीं, किसी दूसरे को चाहोगी तो मुश्किल होगी।



Sunday, June 22, 2025

लंच के बहाने

प्रधानमंत्री शाहनवाज खान को दरकिनार कर असिम मुनीर को लंच पर बुलाकर उसको पुचकारना सोची समझी साजिश है बड़बोले अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प की... उनसे नोबल प्राइज के लिए नोमीनेट करवा कर,मुनीर के गले में पट्टा बाँधने के साथ कहीं  ट्रम्प G7 की मीटिंग छोड़कर इसीलिए तो नहीं आये थे कि वह मोदी जी को भी वहां बुलवा कर ऑपरेशन सिंदूर में मध्यस्थता की अपनी बात को सत्य सिद्ध कर सकें किन्तु मोदी जी के मना करने पर यह संभव नहीं हो पाया वरना उनका मोदीजी को फोन करना, उन्हें बुलाना बेमकसद तो नहीं हो सकता।


अमेरिका ने स्वयंभू बनने के चक्कर में उक्रेन को रूस से युद्ध के लिए तो उकसाया ही, अब इजराइल और ईरान के बीच युद्ध को हवा दे रहा है।

आज तो उसने ईरान के एटॉमिक बेस पर हमला करने का दावा भी किया है।


न जाने क्यों पिछले कुछ दिनों से कवि प्रदीप जी का लिखा गीत मेरे मन मस्तिष्क में गूंज रहा है…


एटम बमों के जोर पर ऐंठी है ये दुनिया, बारूद के ढेर पर बैठी है ये दुनिया…


काश! नीति नियंता सामान्य लोगों के बारे में भी सोचते क्योंकि मरते और सहते तो वही हैं। 



Friday, June 13, 2025

स्त्री तुम...

 मेरी डायरी का एक पृष्ठ...


स्त्री तुम…


स्त्री तुम सशक्त बनो 

पर इतनी भी नहीं 

कि भूल जाओ 

अपनी संवेदनशीलता

मर्यादा, कर्तव्य

सहनशीलता, विनम्रता

रिश्तों को गूंथने की 

देवीय कला।


तुम सशक्त बनो

मन से तन से 

बनो पिता की शक्ति 

माँ जैसी त्यागिनी

जल, थल, वायु को 

मुट्ठी में बंद करने की कला

देश की प्रगति का 

आधार बनो…


स्त्री तुम सीखो 

जुडो, कराटे, बॉक्सिंग 

पुरुषों के कदम से कदम 

मिलाकर चलने की योग्यता 

प्रतिस्पर्धा करो 

स्वस्थ स्पर्धा 

पर मत सीखना 

अपना ही सिंदूर 

उड़ाने की कला…


सुधा आदेश 

बंगलुरु

Tuesday, June 10, 2025

बच्चों के प्रति माता -पिता की जिम्मेदारी


विलियम वर्ड्सवर्थ अपनी कविता ‘रेनबो’ में कहते हैं -बच्चा ही मनुष्य का पिता है अर्थात आज मनुष्य जो है उसकी आधार शिला बचपन में ही रखी जाती है, जो संस्कार, आदतें या वह बाल्यकाल में सीखता है, वही उसके जीवन पर्यंत रहते हैं।  

बच्चे के पहले शिक्षक अभिभावक होते हैं। जिस माहौल में बच्चा पलता बढ़ता है, उसका उसके व्यक्तित्व पर प्रभाव पड़ता है। दुःख की बात तो यह है कि अभिभावक बच्चों के ऊपर अपने सपने लाद देते हैं। कभी-कभी तो यह दबाव इतना होता है कि बच्चे में सामाजिकता पनप नहीं पाती। वह रिश्ते-नातों, मित्रों से दूर होता हुआ भावनाशून्य होता जाता है। 

वह पुस्तकों का कीड़ा तो बन जाता है किन्तु उसमें व्यावहारिकता नहीं आ पाती। असफलता उसे उद्देलित कर देती है, वह अवसाद का शिकार हो जाता है। 

बच्चों को सिर्फ कक्षा में रैंक लाने के लिए ही तैयार नहीं करना चाहिये वरन उसे जीवन के रणसंग्राम से जूझने के लिए भी तैयार करना आवश्यक है। इसके लिए बच्चों को पढ़ाई के साथ उनकी रुचि के अनुसार प्रशिक्षणअवश्य दिलवाना चाहिए। चाहे वह खेल हो या चेस, तैराकी या अन्य कोई।

आज के समय में बच्चों के सर्वांगीण विकास की जिम्मेदारी सिर्फ स्कूल की ही नहीं है वरन अभिभावकों की भी है क्योंकि भावनात्मक विकास से वंचित व्यक्ति व समाज दोनों के लिए घातक बन जायेगा।


सुधा आदेश 



Thursday, May 8, 2025

ऑपरेशन सिंदूर

 ऑपरेशन सिंदूर 


रणभेरी बज चुकी थी 

आगाज हुआ ऑपरेशन सिंदूर का 

तबाह किये आतंकी ठिकाने 

नेस्तनाबूद होंगे सभी आतंकी 

हिन्द सेना ने आज है ठानी।


बहुत नाज था तुम्हें 

अपने पाले, तराशे

इन दहशतगीरों पर 

भूल गये कयामत का 

आता है दिन भी।


खून बहाकर निर्दोषों का 

आखिर तुम्हें क्या मिला 

सजा मिली, मिलनी ही थी 

मत भूलो आह किसी की 

व्यर्थ नहीं जाती।


गर अब भी न संभले

अभी भी न चेते 

न तुम रहोगे न देश तुम्हारा 

छेड़ोगे तो छोडेंगे नहीं 

हिंद की सेना ने आज है ठानी।


जय हिन्द की सेना 🇮🇳🇮🇳


© सुधा आदेश

Monday, April 28, 2025

शर्मनाक घटना

 पहलगाम में हुई घटना बेहद  दर्दनाक, विचलित करने वाली है। धर्म पूछकर, कलमा न पढ़ पाने पर उनकी पत्नी और बच्चों के सामने ऐसी नृशंस घटना कल्पना से भी परे है पर हुई तो है। शायद ही कोई संवेदनशील इंसान इस घटना के पश्चात् चैन की नींद सो पाया होगा। इसका कारण सिर्फ और सिर्फ एक कौम की वह जिहादी मानसिकता है जिसके अनुसार इस धरती पर सिर्फ उन्हें ही रहने का अधिकार है।

द्वि राष्ट्र का सिद्धांत देकर इस जिहादी मानसिकता को  जिन्ना ने परोसा तथा उसके बाद की पीढ़ियों ने इसे पुष्पित एवं पल्लवित ही किया। इसका उदाहरण पाकिस्तानी जरनल आसिम मुनीर का हाल में दिया भाषण है। 


इस मानसिकता को पूरी तरह समाप्त करना इसलिए संभव नहीं हुआ क्योंकि भारत के राजनेताओं ने प्रारम्भ से ही गंगा जमुनी तहजीब की बात की तथा इसे बनाये रखने की हर संभव कोशिश की है। प्रधानमंत्री मन मोहन सिंह ने तो संसद में ही कहा था कि भारतीय संसाधनों पर पहला अधिकार अल्पसंख्यकों का है।


अल्पसंख्यक…ये अल्पसंख्यक कहाँ हैं कई प्रदेशों में ये बहु संख्यक हैं फिर भी इनका अल्पसंख्यक दर्जा समाप्त नहीं किया आखिर क्यों? 


मोदी जी के आने पर परिस्थितियां बदली हैं। शायद इसी बौखलाहट का परिणाम है पहलगाम अटैक। हमें अगर इस मानसिकता को रोकना है तो पहले भारत में जगह-जगह बने इन पाकिस्तानी पॉकेट और इन जेहादी मानसिकता वालों पर लगाम कसनी होगी लेकिन क्या ऐसा हो पायेगा? वोट के लिए कुछ राजनेता अपने देश की अस्मिता से खिलवाड़ करने से भी नहीं चूक रहे हैं। इसका उदाहरण ममता बनर्जी हैं और केंद्र सुप्रीम कोर्ट (विधायिका के हर फैसले का परिक्षण) करने के कारण इतना लाचार है कि बंगाल में राष्ट्रपति शासन भी नहीं लगा सकता…


 🙏