Tuesday, November 5, 2019
निःशब्द
निःशब्द
समीर के हाथ से खाने की प्लेट गिर गई । सीमा कमली को फर्श साफ करने का निर्देश देते हुये पुनः समीर के लिये प्लेट लगाने लगी । कमली ने फर्श पर गिरा खाना एक पोलीथीन में डाला तथा तथा गांठ मारकर एक कोने में रख दिया ।
‘ कमली खाने को फेंक दो, किनारे क्यों रख दिया ।’ सीमा ने पूछा ।
‘ भौजी, ठीक ही बा, जमीन अभी ही तो पोंछे बा । घर ले जाब, अपने बबुआ को खिलाब देब, उसके नसीबबा में ऐसा खाना कहाँ ?’
कमली की बात सुनकर वह निःशब्द रह गई । विकास के स्थानांतरण के कारण उन्हें इस छोटे से कस्बे में आये तीन महीने हुये थे । उसने सुना तो था इस इलाके में गरीबी बहुत है पर इतनी होगी उसने कल्पना भी नहीं की थी । वह बचा खाना गाय या कुत्ते को खिला देती थी पर इन्हें यह सोचकर नहीं देती थी कि कहीं इनकी आदत न बिगड़ जाये । एकाएक उसने निर्णय किया अब घर में जो भी बनेगा वह कमली के बबुआ को अवश्य देगी ।
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