पानी बरसा रिमझिम-रिमझिम
गर्मी भागी, मौसम ने ली अंगड़ाई
बच्चों को मस्ती आई
बाहर निकलें, खेलें खेल...
घर-घर से आवाज आई ।
अब न कोई रोकेगा,
अब न कोई टोकेगा
भरा पानी घर के आंगन में,
चलो कागज की नाव बनायें
दूर कहीं सैर को जायें ।
बारिश का यह मौसम अलबेला
सबके मन को भाता,
ठंडी-ठंडी बहती बयार
पशु, पक्षी को दुलराती
मधुर कोमल संगीत सुनाती ।
सूखी धरती,सूना उपवन,
ओढ़ धानी चुनरिया,
कल-कल बहती नदिया
खुशियों से ले रही हिलोरें
धरती पर नव जीवन छाया ।
खाएंगे अब गर्मागर्म पकोड़े
साथ में हलवा, गर्म समोसे
माँ को अपनी पसंद बतायें
बारिश के मौसम का
आओ हम आनंद उठायें ।
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