Friday, March 24, 2017

बड़ी मुददतों के बाद यह पल आया है

बड़ी मुददतों के बाद यह पल आया है, तारों की झुरमुट में शाम बिताई है । भागते रहे चंद काग़ज़ के टुकड़ों के लिये महफ़िल आज अपनों के संग सजाई है । वक़्त रूकता नहीं, रूकना तुम्हें होगा, जीना है अगर ज़िंदगी,बात आज समझ में आई है । जीवन छोटा,बचे हैं चंद पल ही ज़िंदगी के, जियें अपने लिये भी,ज़िंदगी ने ज़िंदगी से पहचान कराई है । @सुधा आदेश

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