Thursday, January 26, 2017
वर्षों के त्याग और बलिदान के फलस्वरूप हमें आज़ादी मिली
वर्षों के त्याग और बलिदान के फलस्वरूप हमें आज़ादी मिली । हमारे संविधान निर्माताओं ने आज के दिन हमें हमारा संविधान सौंपा था । हमें हमारे कर्तव्यों और अधिकारों के बारे में बताया गया था । दुख तो इस बात का है हमें हमारे अधिकार याद रहे पर कर्तव्य भूल गये । कुछ ऐसी ही मानसिकता ने कुछ पंक्तियों को जन्म दिया है ...
दोगली बातें बंद करो
अब तो कुछ शर्म करो,
कब तक छल कपट से
जनता जनार्दन को
गुमराह करते रहोगे ,
सत्ता सुंदरी के मद में
मचलते रहोगे ?
आरोप प्रत्यारोपों का
दौर बंद करो,
देश की रक्षार्थ
कुछ कर्म करो
सीख सकते हो तो सीखो
उन नौजवानों से
जिन्होंने तुम्हारे कल के लिये
तोड़ ममता की बेड़ियाँ
माँ की आन बान शान के लिये
अपना आज क़ुर्बान कर दिया,
हँसते - हँसते अपना जीवन
बलिदान कर दिया ।
@ सुधा आदेश
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