Saturday, March 5, 2016
कन्हैया के रूप में विपक्ष को शतरंज का एक एेसा मोहरा
कन्हैया के रूप में विपक्ष को शतरंज का एक एेसा मोहरा मिल गया है जिसके भरोसे वह मोदी रूपी आँधी को रोकने की चेष्टा
में देश का बुरा भला के साथ देशप्रेम और देशद्रोह में अंतर करना भी भूल बैठे हैं । इनको इतना भी एहसास नहीं है कि देश के हीरो कन्हैया
जैसा देश को तोड़ने वाली बात कहने वाला नहीं वह वीर सैनिक है जो विपरीत परिस्थितियों में देश सेवा
करते हुये अपने प्राण देने से भी नहीं चूकता । वैसे भी देश की ग़रीबी, बेरोज़गारी केवल नारों से नहीं
वरन् करम करने से होगी । कन्हैया जैसे लोग न केवल अपना वरन् अपने जैसे अनेकों छात्रों का भविष्य बरबाद कर रहा है ।
इनके माता -पिता ने इन्हें यहाँ पढ़ने के लिये भेजा है न कि राजनीति करने । माना इन लोगों में से एक दो राजनेता भी बन जाये
पर सफल वही होता है िजसमें पूरवागृह न हो देश की , जनता की नब्ज़ को पहचानता हो वरना वह न केवल देश के लिये वरन् स्वयं की
नज़रों में भी नाक़ाबिल बन जायेगा ।
एक बात और कनहैया को शह दे रहे विपक्षी नेता लोग यह भी भूल गये हैं कि ६८ वर्षों से शासन बी.जे.पी. या मोदी का नहीं वरन् उस कॉंग्रेस
का था जिसे कोस-कोसकर ये सत्ता में आये । अभी जुमा -जुमा १८ महीने भी नहीं हुये कि अचानक ये कांग्रेस के साथ खड़े हो गये।
आख़िर इनकी बेताबी का कारण क्या है ? एक आम आदमी समझ नहीं पा रहा है । उसने अपने मताधिकार का प्रयोग कर सत्ता
में यह सोचकर परिवर्तन किया शायद उसके जीवन में सुधार हो पर ये तथाकथित बुद्धिजीवी चुनी हुई सरकार को काम ही नहीं
करने दे रहे हैं । देश की जनता इनसे समय पर सवाल अवश्य पूछेगी ...।
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