दिल्ली में डा०पंकज नारंग की नृशंस हत्या मन में अनेकों प्रश्न पैदा कर रही है । आख़िर कोई भी इंसान इतना निर्दयी कैसे हो जाता है कि न उसे मासूम बच्चे का रूदन सुनाई देता है और न ही पत्नी की चीख़ पुकार । क्या उसे अपना अपअसमय मान व्यक्ति की जान से अधिक प्यारा होता है ? न जाने यह व्यक्ति की कैसी सोच है ? अगर हम नहीं बदले,बच्चों को अच्छे संस्कार देने में नाकामयाब रहे तो मानवता को कुमहलाने से कोई नहीं रोक पायेगा ।
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