कभी-कभी जब मन बेहद दुखी हो जाता है तब भावशूनयता की स्थिति उत्पन्न हो जाती है । आख़िर कोई व्यक्ति इतना नृशंस कैसे हो जाता है कि दूसरों का ख़ून बहाकर
उसे सुकून मिलता है । माना जो व्यक्ति इन नरसंहार में उनकी बंदूक़ों का शिकार होता है उससे उनका कोई संबंध नहीं होता पर इंसानियत का संबंध तो होता है फिर उनकी चीख़ पुकार क्यों नहीं सुनाई देती ? भगवान / अल्लाह ने इंसान को धरती पर नेक कार्य करने भेजा है फिर यह नरसंहार क्यों ?
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