Thursday, September 29, 2011

बचपन





जीवन की निष्पाप अवस्था हे बचपन
कवि की निर्दोष कल्पना हे बचपन,

माँ की ममता की लोरी की तान हे बचपन
पिता के सुदृद बाहो का झूला हे बचपन,

भाई बहन की मीठी तकरार हे   बचपन
संगी साथियो की मीठी नौक झौक हे बचपन,

चपलता, चंचलता, नटखटता का नाम हे बचपन
अनोखा,अनमोल सबसे प्यारा न्यारा हे बचपन,

कभी गुदगुदाता तो कभी रुलता हे बचपन
कर्तव्यो के बीहड़ जंगल मे जीना सिखाता हे बचपन,

जवानी का संबल हे बचपन
बुढ़ापे का उपहार हे बचपन,

रूप बदला, रंग बदला,न कभी बदला हे बचपन
यादों के झरोखो मे सदा टिमटिमाता रहा बचपन।






































































   

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